जेपी शर्मा. झुंझुनूं ♦ सिर पर स्वर्णवर्ण मुकुट, उसके साथ ही लिपटा काला सर्प, माथे पर चंदन का तिलक, शरीर पर धारण पीत वस्त्र... यह मनमोहिनी छवि है भोले भंडारी भगवान शिवशंकर की। सुनकर शायद आपको आश्चर्य हो लेकिन यह कल्पना नहीं सच है। इसी रूप में भगवान शिव अपने परिवार के साथ महणसर स्थित रघुनाथजी का बड़ा मंदिर में विराज रहे हैं। अब तक आपने जितनी भी शिव फोटो या प्रतिमाएं देखी होंगी वे सभी सिर पर लंबी जटाएं, जटाओं ने निकलती गंगधारा, माथे पर तीसरी आंख, गले में सर्पों की माला, हाथ में त्रिशूल, कमर पर बाघंबर और शरीर पर राख का लेप ... इन्हीं विशेषताओं से परिपूर्ण नजर है। लेकिन महणसर स्थित रघुनाथजी के बड़ा मंदिर शिवालय में भोले भंडारी की अनूठी प्रतिमा आकर्षण का केंद्र है जिसे निहारने हर साल काफी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। इस भव्य मंदिर का निर्माण सन् 1840-48 में महणसर निवासी शिवबक्सराय पोद्दार के पिता हरकंठराय पोद्दार ने करवाया था। उनके वंशज ओमप्रकाश पोद्दार ने बताया कि उस वक्त वे पानी के जहाज की बीमा का काम करते थे और देश भर में उनकी 52 शाखाएं थीं। काफी लंबा चौड़ा व्यापार था जो खूब फल-फूल रहा था। एक दिन अचानक अपने एक कीमती जहाज के डूब जाने की खबर से हरकंठराय को काफी आघात पहुंचा। इसके बाद से वे दुखी रहने लगे, कहीं उनका मन नहीं लगता था। एक दिन हरकंठराय ने दो बड़े मंदिरों के निर्माण का मन बनाया। जिसकी परिणति महणसर में रघुनाथजी के विशाल एवं भव्य मंदिर के रूप में हुई। इस मंदिर में रामदरबार, हनुमानजी और शिव परिवार की प्रतिमाएं हैं। यहां स्थित शिव परिवार में भगवान शिव की प्रतिमा अन्य शिव प्रतिमाओं से बिल्कुल अलग और अनूठी है। कहते हैं शिव की ऐसी प्रतिमा दुनिया में दो जगह हैं जिनमें से एक तो महणसर के इस मंदिर में है। यहां स्थित हनुमान मंदिर में भी हनुमान प्रतिमा के साथ मकरध्वज की प्रतिमा भी है जो अन्यत्र शायद ही देखने को मिले।
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अनूठे हैं रघुनाथ मंदिर महणसर के भोलेनाथ
शनिवार, 6 फ़रवरी 2010
प्रस्तुतकर्ता अरविन्द शर्मा पर 11:24 pm 1 टिप्पणियाँ
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