शेखावाटी क्षेत्र देशभर में उद्योगों का महाजाल फैलाने वाले उद्योगपतियों की जन्मस्थली होने के बावजूद उद्योगों से वंचित है। इन उद्योगपतियों ने किसी भी विश्ेाष उद्योग लगाने में पहल आज तक नहीं की।यहां के लाखों युवा रोजगार के लिए देशभर में भटकते नजर आते हैं। देशभर में फैले उद्योगपतियों में प्रमुख बजाज, बिड़ला, डालमिया, खेतान, पोद्दार, बगडिय़ा, सेकसरिया, चमडिय़ा, मोरारका, मोदी, लोहिया, रूंगटा, सिंद्यानिया आदि की जन्म स्थली शेखावाटी ही है। ये उद्योगपति देश के विभिन्न भागों में स्टील, चमड़ा, कपड़ा, जूट, चीनी, केमिकल, फर्टिलाइजर आदि क्षेत्रों में छोटे-बड़े उद्योगों के मालिक हैं लेकिन इन उद्योगपतियों का एक भी उद्योग इस क्षेत्र में नहीं है। इस क्षेत्र में उद्योग के नाम पर केवल भारत सरकार के सार्वजनिक प्रतिष्ठान हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड की इकाई खेतड़ी कॉपर काम्प्लेक्स को देखा जा सकता है। यहां आज भी क्षेत्र के हजारों लोग कार्यरत तो हैं लेकिन विगत दिनों उदारीकरण के पड़ते प्रतिकूल प्रभाव के कारण इसकी डंावाडोल स्थिति अस्थिर नजर आ रही है। इन उद्योगों में कार्यरत लोग शेखावाटी क्षेत्र के आस-पास बड़े उद्योग की तलाश कर रहे हैं जिसे इस क्षेत्र के जन्में उद्योगपति ही पूरा कर सकते हैं। यह एक विचारणीय मुद्दा है कि उद्योगपतियों की जन्म स्थली शेखावाटी आज तक उद्योग को तरस रही है। जबकि इन उद्योगपतियों ने क्षेत्र के विकास के लिए शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया है। शिक्षा व समाज सेवा के प्रकल्पों के साथ-साथ इस क्षेत्र के विकास के लिए उद्योग स्थापित किए जाने की महती आवश्यकता है। किसी भी जगह पर उद्योग स्थापित करने की दिशा में वर्हा की भौगोलिक परिवेश का सकारात्मक होना बहुत जरूरी है। शेखावाटी क्षेत्र आवागमन की सुविधा से बड़े रेलमार्ग से अभी तक वंचित होने के कारण देश के बड़े महानगरों से जुड़ पाया है। हाल ही बजट में ब्राडगेज की घोषणा के बाद इस दिशा में उम्मीदें जगी हैं।
इस क्षेत्र के विकास में दूसरी गंभीर समस्या जल संसाधनों की है। भूजल स्तर काफी नीचे चला गया है। पड़ोसी राज्य पंजाब व हरियाणा में फैली नहर योजना से इस क्षेत्र को जोडऩे की चर्चाएं चल तो रही हैं, लेकिन यह केवल राजनीतिक अस्तित्व बनकर ही उभरता नजर आ रहा है। इस तरह के हालात के बावजूद इस दिशा में सबसे बड़ी कमी सकारात्मक बौद्धिक सोच की भी रही है। क्षेत्र के महत्वाकांक्षी राजनीतिज्ञ एवं सामाजिक प्रवृत्ति से जुड़ी पृष्ठभूमि का क्षेत्र के विकास से ज्यादा स्वहित की सोच ने आज तक इस क्षेत्र को उपेक्षित रखा है। शेखावाटी क्षेत्र में उद्योगपतियों के सहयोग से महाजाल फैलाया जा सकता है। बशर्ते यहां पर जन्मे उद्योगपतियों को इस क्षेत्र में उद्योग लगाने के लिए प्रेरित किया जाए। इतना ही नहीं यहां उद्योगों के लिए जरूरी मूलभूत संसाधनों के लिए सार्थक प्रयास कर माहौल बनाया जाए। और उद्योग संबंधी संसाधन भूमि, जल, यातायात के साथ अपेक्षित सहयोग की पृष्ठभूमि दर्शायी जाए। इसके बाद निश्चित रूप से इस उपेक्षित क्षेत्र में विकास के अवसर बढ़ सकते हैं।
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संभावनाओं के फलक पर शेखावाटी
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शेखावाटी में पिछले अर्से से शोध, प्राकृतिक चिकित्सा एवं ग्रामीण पर्यटन के लिए जो माहौल बना है, उससे काफी कुछ करने की गुंजाइशों को पंख लग गए हैं। इससे एक बात तो तय हो गई है कि अब घरेलु पर्यटक शेखावाटी के धार्मिक स्थलों पर जात-जड़ूले और विदेशी पर्यटक ओपन आर्ट गैलरी के रूप विलास को देखने ही ही नहीं आ रहे हैं, बल्कि इन सबसे अलग भी यहां बहुत कुछ ऐसा है, जो दुनियाभार को आकर्षित कर रहा है। Read more |
उद्योग से कोसों दूर खड़ी कुबरों की जन्मस्थली
शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2010
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