आजादी के वीर व नेतृत्वकर्ता नेताजी सुभाषचंद्र बोस का शनिवार को जन्म दिवस है और इस दौरान राष्ट्र को उनके प्रेरणादायी योगदान की यादों को लेकर शहरभर में कार्यक्रम आयोजित होंगे। कुशल राजनेता, संकल्प को पूरा करने वाले व राष्ट्रप्रेम के लिए सब कुछ न्यौछावर करने वाले सुभाष बाबू को संपूर्ण भारत में उनके जन्म दिवस पर बड़ी श्रद्घा से याद किया जाता है। इंग्लैंड की सर्वश्रेष्ठ सरकारी सेवा ठुकराने, अपने कैरियर को राष्ट्र को समर्पित करने और अपने चातुर्य से हर भारतीय के मन में बसे नेताजी को उनकी तमाम उपलब्धियों से ज्यादा उनके जुनून के लिए जाना जाता है।
शेखावाटी के मन पर सदैव छाए रहे नेताजी
राजस्थान के क्रांतिवीरों में नेताजी जैसा जुनून शायद ही किसी और समकालीन नेता ने भरा हो। वैसे तो नेताजी कभी सीकर या शेखावाटी नहीं आए, लेकिन सीकर की आजादी के लिए उन्होंने आजादी के लिए लड़ रहे स्थानीय वीरों को साहस का मंत्र दिया था। जयपुर रियासत ने सीकर में आंतरिक हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया था, जिसका सीकर के राजा कल्याणसिंह ने विरोध किया और परिणाम स्वरूप जयपुर के राजा मानसिंह ने सीकर पर हमला कर दिया। उस समय राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रपति नेताजी थे और उन्होंने सीकर की मदद के लिए कोलकाता के मोहम्मद अली पार्क में मारवाड़ी व सीकर वासियों की विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि सीकर वासियों घबराओ नहीं, हम सबके प्रयास से भारत आजाद होगा और सीकर भी। उनकी याद में 5 जुलाई 1938 को बना शहर का सर्वप्रमुख सुभाष चौक उनकी बलिदानी व शौर्य गाथा को आज भी बयां करता है।
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संभावनाओं के फलक पर शेखावाटी
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शेखावाटी में पिछले अर्से से शोध, प्राकृतिक चिकित्सा एवं ग्रामीण पर्यटन के लिए जो माहौल बना है, उससे काफी कुछ करने की गुंजाइशों को पंख लग गए हैं। इससे एक बात तो तय हो गई है कि अब घरेलु पर्यटक शेखावाटी के धार्मिक स्थलों पर जात-जड़ूले और विदेशी पर्यटक ओपन आर्ट गैलरी के रूप विलास को देखने ही ही नहीं आ रहे हैं, बल्कि इन सबसे अलग भी यहां बहुत कुछ ऐसा है, जो दुनियाभार को आकर्षित कर रहा है। Read more |
शेखावाटी को बोस ने दिया साहस का मंत्र
शनिवार, 6 फ़रवरी 2010
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